प्रिया आगमन
कुसुम कली तिय घर आई
रम्य रूप मन को भायी
सजा मंगतिक्का स्वर्ण आभूषण
मीन नयन में है आकर्षण
अरुण अधर मोती सा बदन
मन उद्धत करूं प्रेमांकन
वीणा की ध्वनि झंकृत हुई
बोली और मनमीत हुई
निशीथ पहर आई बाँहों में
मैं कलत्र खोया भावों में
जीवन धारा
अति तेज़ हुई
अति तेज़ हुई
शूल रहित पुष्प सेज हुई
परिजन की तथता थी भाई
प्राणप्रिया मेरे घर आई
Realy excellent...munna
जवाब देंहटाएंGood one..
bahut hi umda kavitaye.
जवाब देंहटाएंविचारों की भाषा रूपी धागे में पुष्पवत शब्दों को ही तो पिरोया है , आपने पसंद किया शुक्रिया
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