गुलाब महकता है

गुलाब महकता है
जब सुदूर में 
पड़ता है तन पे 
प्रियता का प्रभाव
अरुणमय है स्वरूप 
प्रेम का प्रतीक 
रश्मियों का स्नेह 
हृदय में ,
छा  जाय गुलाब 
गुलाब महकता है 
उन्मुक्त निरभ्र आकाश हो 
व ईला का सुप्रवास 
गुलाब महकता  है 
कांटो के उलझन में
कंटीले तारों के बंधन में
झूमता है उमंग में
प्रेमियों के संग में
गुलाब महकता है
दे रहा सन्देश
सद्विचार भावों में
संवेदना के चिन्हों में
मानवता के रूप में
गुलाब महकता है।
(१७/२/२००५ , गोरखपुर )                                                                


                                 मुन्ना  साह
        शोध अध्येता , दिल्ली विश्वविद्यालय ,दिल्ली -७ 

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