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कनेर

कनेर कोई वृक्ष नहीं विशाल पतले-पतले डाल लंबी-लंबी पतियां पुष्प खिलते सूर्ख लाल बहुत सारे फूलों में देखा होगा आपने भी इन्हें जैसे भीड़ में आपने देखा था किसी ख़ास व्यक्ति को और पहचान न सके! शायद वैसे ही आपने खोया अपनी पहचान और भीड़ में गुम हो गए! कनेर भीड़ का हिस्सा नहीं एक फूल है प्रकृति ने जिसमें रंग भरे और गुण भी! किसी की अनभिज्ञता से किसी के अस्तित्व पर फ़र्क़ नहीं पड़ता ठीक वैसे ही कनेर को!

प्यार भरे शब्द

क्यों अहम में मतवाले हो? छीनने को उत्सुक किसी की थाली से रोटी! वह तो देखने तक नहीं गया कि तुम्हारे डिनर में सजे हैं किन-किन जानवरों की बोटी! सामंती कुंठाओं को त्याग कर इंसान क्यों न बन जाते? मुंह फुलाकर श्रेष्ठता का अहम पालना! किसी के रास्ते में कांटे बिछाना क्या तुम्हें अच्छा लगता है? ऐसी सोच है तो तुम इंसान बनने से रहे! लोकतंत्र है भाई सबको खुशीपूर्वक जीने दो! तुम जरा ऐंठन में नर्मी लाओ तो यश पाओगे! वर्ना देश की कई रियासतें धुल फांक रही हैं ! फिर तुम्हारा क्या अस्तित्व है एक बात बहुत अच्छी है! मीठी वाणी बोलिए ! सिर्फ बोलना ही तो है- प्यार भरे, अपनत्वपूर्ण शब्द ज्ञान बघारने से कोई इंसान नहीं बनता प्यार भरे शब्दों से बनता है! ***** × ***** 

ताप

आज की गर्मी से मस्तिस्क के भीतर न्यूरोन्स को भी ताप का एहसास हुआ उस ताप से स्थियों को नहीं रोम-रोम को पीड़ा हुई उनके मूल में स्वेद ने विस्तार पाया शरीर का पूरा आवरण भींग गया हृदय में शूल-सा  चुभने लगा यह अचानक आई घटना नहीं है वर्षों के अत्याचार का परिणाम है जो हमने किया है प्रकृति के नष्ट किए जो शाद्वल स्वरूप उसी का प्रतीकार है उसके हृदय की उष्णता है हजारों वृक्ष और पौधे कम कर सकते हैं इसकी उष्णता और हम पा सकते हैं शीतलता और इस ताप से राहत !

आदिवासी की अवधारणा और जातीय स्वरूप

आदिवासी की चिंता जल , जंगल , जमीन , भाषा और संस्कृति की है जो आदिवासी अस्मिता के लिए आवश्यक है। आदिवासी को सहज ही असभ्य और बर्बर समझ लिया जाता है। उसकी सभ्यता और संस्कृति को ना तो समझने की कोशिश की जाती है और ना ही उसके साथ सहृदयता के साथ व्यवहार किया जाता है। बाहरी स्वरूप और आवरण के आधार पर परिभाषा गढ़ दी जाती है , जो यथार्थ से बिल्कुल दूर की बात होती है। “ आदिवासी देश के मूल निवासी माने जाने वाले तमाम आदिम समुदायों का सामूहिक नाम है। इस संदर्भ में यह विचारणीय है कि आदिवासी पद का ‘ आदि ’ उन समुदायों के आदिम युग तक के इतिहास का द्योतक है। ” 1 आर्यों के आने से पूर्व भारत के घने जंगलों में , पहाड़-पर्वतों में , घाटियों-दर्रों में आदिवासी अपना जीवन जी रहे थे। उस जंगल पर , उस हिस्से पर आदिवासी का ही अधिकार था , उसकी सत्ता थी। फल-फूल , लकड़ी , शिकार के लिए उसे किसी से स्वीकृति लेने की आवश्यकता नहीं थी। खैबर दर्रे से जब आर्य भारत आए तो वे अपने साथ रथ , बर्छी , कुल्हाड़ी , गाय , घोड़े , ढोरों की फौज लेकर आए और पहला हमला उन्होंने आदिवासियों पर किया। 2 इस तरह गोरे आर्यों ने काले आदिवासियो

सद्भावना

सद्भावना सद्भावना सद्भावना हर मानव के हृदय में हो प्रेम भावना उज्ज्वल भविष्य और आशाओं के फूल खिले हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई सब गले मिले किसी से न हो द्वेष, रखे सब बंधुत्व भावना सद्भावना सद्भावना सद्भावना सात दिन सात रंग सात महादेश हैं भिन्न-भिन्न भाषाएं वेष भूषाएं भी अनेक हैं सात समुद्र पार से चाहें जो भी आए  ना मिलकर करते स्वागत हमारी यही भावना सद्भावना सद्भावना सद्भावना !

नागफनी

अक्सर तुम गमले में सजाये हुये दिखते हो नागफनी ! कांटो से भरे हरे - हरे तुम्हारी सुंदरता और शौम्यता  अरुण अद्भुत फूलों में जिसे खिलने नहीं दिया जाता तुम कब खिलते हो ? रबी फसलों के साथ कि खरीफ के वक्त सूख से गए हो ! छिन गया है तेरा वजूद मजदूर कि भांति जो दूसरे कि शोभा बढ़ाने में कृषकाय हुआ है तुम्हारी तरह तुम स्थिर हो गए हो  मजदूर स्थिर नहीं है ! तुम्हारे फूल छिने गए मजदूर के मूल !
हिंदी में हर काम सरल है, कर के देखें। जीवन को सुखमय बनाने के लिए अपनो से जुड़े रहने की आवश्यकता होती है। अंग्रेजी को जानें पर हिंदी का उपयोग ज्यादा करें जिससे अपने भरतवासियों को दूरी का एहसास ना हो।