बरगद

सदियों  से  खड़ा स्थिर
देख रहा है
बदलती संस्कृति को
विशाल बरगद
अपनी जड़ें फैलाए
परम्पराओं का साक्षी
अपनी शीतल छाया में
बिन मांगे देता राहत
मौन  होकर भी कहता है
पते कि बात
नये पत्ते आते हैं तो
नया -नया लगता है
नया जीवन पाता है हरवर्ष
स्थिर होकर भी
गतिशील है उसका स्वरूप
गति में रहने का
जीवन का सन्देश देता
विशाल बरगद ।
           3 /11 /2013 नई दिल्ली 

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