आदमी
कुछ बातों से
कुछ जज्बातों से
संवेदनाओं से
प्रेम-व्यवहार से
दूर ही से
कोई दीखता है
आदमी।
कुछ ही बन पते हैं
कुछ ही समझ पाते हैं
कौन है ?
जिसे कहा जाए
आदमी।
जो -
काले-गोर में भेद करे
ऊँच-नीच में भेद करे
स्त्री-पुरुष में भेद करे
लम्बे-छोटे कद में भेद करे
क्षेत्र-क्षेत्र में भेद करे
क्या वहीँ है ?
आदमी।
वो है बिलकुल वहीँ
जिसे सब कहें
सच्चा ईमानदार
जिसे मिलता हो
सबका प्यार
जिसे कोई घृणा
न करता हो
जिसका कोई
दुश्मन न हो
वो है -
आदमी।
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