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लड़की

माँ मुझे आने दो इस भू पर माँ तुम समझती हो पीड़ा लड़की हूँ पाप नहीं तेरे रक्त से निर्मित मेरा डीएनए नहीं दूँगी दुख-दर्द  भार नहीं बनूँगी बचालो मुझे किसी विध स्त्री के दुश्मन से तू नहीं चाहती मैं खेलूँ तेरी गोद में नाचू आँगन में मुझे मत मरो कोख में मुझे जन्म दो आने दो अपने जीवन में हँसना चाहती हूँ आँचल के नीचे सिक्त छांव में (11/9/2013,दिल्ली) मुन्ना साह